Wednesday, February 20, 2008

mutual admiration society...

बुरा मत देखीये, बुरा मत सुनीये बुरा मत कहीए...
आप मेरे दोस्त हो यार...
हम आपकी और आप हमारी तारीफें करते रहीए...

मुझे तो है encouragement की सक्त ज़रूरत
करना है तो करो यार...
पर बहुत प्रेम से... वो हो मिठास से लतपत...

sarcasm से तुम्हे क्या मीलेगा?
ज़रा सोचो यार...
न मेरा भला होगा, न मुझे अच्छा लगेगा...

criticism से कीसी का भला हुआ है?
इस शब्द के अर्थ में ...
Constructive से ज्यादा destructive भरा है!

ये कैसी friendship है, जो मेरे काम न आई...
हमने तुमसे कुछ कहा
और तुम्हे हमारी बात ही समझ नहीं आई...

हमारी बात तुम को पसंद नहीं आई, इस से बढकर क्या अपमान ...
खून खौल गया है मेरा ...
बढ़ गया है मेरे लाल रंग का तापमान !

अभी कहे देते हैं ... तुमसे कम नहीं ...
Politically correct बात करो यार...
वर्ना तुम्हे खोने में हमे कोई गम नहीं...

मेरी मानिए...
बुरा मत देखीये, बुरा मत सुनीये बुरा मत कहीए...
कीसी के feelings को hurt न करीये...
बस मिल-जुलके प्रेम भाव से ...
एक mutual admiration society में हमेशा हमेशा के लिए जागते रहीए...

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2 comments:

Harsh said...

i really don’t know how to react/critique/comment/appreciate this Post :)

pooja said...

you are the best person around! I agree to the poem..sarcasm se kuch nahi hota!..bura mat kahiyo!